चोरी की घटनाएं तो आम बात हो गई है। और इसके लिए नए-नए तरीके सामने आ रहे है, जैसे की "किसी भी बैंक का नाम लगाकर" आपसे इनफार्मेशन हैक करना। या कुछ स्टेप्स बताकर "गूगल-पे, फ़ोन-पे" से रुपए ट्रांसफर करवाना। बैंको में भी पैसा सुरक्षित नहीं है। हैकर्स और वायरस के आतंक ने तो हमारी इम्पोर्टेन्ट इनफार्मेशन को किसी न किसी बहाने चुरा लेते है।
पैसो का लेनदेन ऑनलाइन या फिर मोबाइल बैंकिग से जुड़े हुए एप्प से करते है। ऑनलाइन या बैंकिग एप्प से लेनदेन मतलब "सावधानी हटी दुर्घटना घटी", हैकर्स या "बैंकिंग ट्रोजन" इसका फायदा उठाकर अकाउंट से पैसे चुरा लेते है।
आज कल मोबाइल के लिए "ब्लैकरॉक वायरस" सामने आया है जो क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के साथ बैंकिंग और रिटेल मार्केटिंग कम्पनीज के उपकरण की हेल्प से उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड चोरी कर रहा है।
एंड्रॉइड मोबाइल में एक नया मालवेयर (वायरस) ब्लैकरॉक सामने आया है जो विशेष रूप से बैंकिंग ऐप्स से सामग्री चुराता है। इसे 'बैंकिंग ट्रोजन' कहा जा रहा है।यह डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड की यूजर आईडी और पासवर्ड चुराता है और इसे सर्वर पर भेजता है, जिसे ऑफलाइन धोखाधड़ी को अंजाम देने के साथ डाउनलोड करना होता है। यह एंड्रॉइड मोबाइल के मैलवेयर से अलग है जिसमें अब तक 377 एक साथ मोबाइल ऐप पर हमले की जानकारी चुराते हैं।
बैंकिंग के अलावा, इसमें पुस्तकों और संदर्भों, संचार, डेटिंग, अंतरराज्यीय जीवन शैली, व्यवसाय, संगीत और ऑडियो समाचार और पत्रिका, वीडियो प्लेयर लेखकों के लिए उपकरण और एप्लिकेशन शामिल हैं। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्टिफिकेट-इन) ने इसके लिए एक एडवाइजरी जारी किया है।
ब्लैकरॉक के बारे में सबसे पहले नीदरलैंड्स की साइबर सुरक्षा एजेंसी थ्रेटफ्रेब्रीक ने अलर्ट जारी किया गया। ब्लैकरॉक थर्ड पार्टी एप के जरिए यूजर के मोबाइल में इंस्टॉल हो जाता है। इंस्टॉल होने के बाद यह अपना आइकन छिपाकर चुपचाप एक्सेसिबिलिटी की अनुमति मांगता है। केवल एक अनुमति मिलने के बाद शेष अनुमति जैसे एसएमएस भेजना/प्राप्त करना, कैमरा, जीपीएस की अनुमति खुद ही ले लेता है। ब्लैकरॉक को हटाने के लिए अगर एंटीवायरस का उपयोग किया जाता है या अनइंस्टॉल किया जाता है तो यूजर को सीधा होम स्क्रीन पर री-डायरेक्ट कर बच जाता है।
ब्लैकरॉक कई बैंक के एप के अलावा पे-पाल , गूगल पे, जीमेल, याहू मेल, ई-बे, माइक्रोसॉफ्ट कैश, अमेजन, उबर, नेटफ्लिक्स को निशाना बनाता है। यह इंस्ट्राग्राम, टिवट्र, फेसबुक, वाट्सएप, हैंगआउट, टिंडर जैसे सोशियल मीडिया एप से यूजर आईडी व पासवर्ड भी चुरा सकता है।
ब्लैकरॉक थर्ड पार्टी एप के रूप में मोबाइल में इंस्टॉल होता है। ऐसे में केवल गूगल प्ले स्टोर से ही कोई एप्लीकेशन डाउनलोड करने के साथ अपडेट करनी चाहिए। थर्ड पार्टी एप से बचना चाहिए। एक्सेसिबिलिटी की अनुमति देते वक्त भी सावधानी जरुरी है।
Image Source : Bing Search
Content Source : Patrika.com
पैसो का लेनदेन ऑनलाइन या फिर मोबाइल बैंकिग से जुड़े हुए एप्प से करते है। ऑनलाइन या बैंकिग एप्प से लेनदेन मतलब "सावधानी हटी दुर्घटना घटी", हैकर्स या "बैंकिंग ट्रोजन" इसका फायदा उठाकर अकाउंट से पैसे चुरा लेते है।
आज कल मोबाइल के लिए "ब्लैकरॉक वायरस" सामने आया है जो क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के साथ बैंकिंग और रिटेल मार्केटिंग कम्पनीज के उपकरण की हेल्प से उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड चोरी कर रहा है।
एंड्रॉइड मोबाइल में एक नया मालवेयर (वायरस) ब्लैकरॉक सामने आया है जो विशेष रूप से बैंकिंग ऐप्स से सामग्री चुराता है। इसे 'बैंकिंग ट्रोजन' कहा जा रहा है।यह डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड की यूजर आईडी और पासवर्ड चुराता है और इसे सर्वर पर भेजता है, जिसे ऑफलाइन धोखाधड़ी को अंजाम देने के साथ डाउनलोड करना होता है। यह एंड्रॉइड मोबाइल के मैलवेयर से अलग है जिसमें अब तक 377 एक साथ मोबाइल ऐप पर हमले की जानकारी चुराते हैं।
बैंकिंग के अलावा, इसमें पुस्तकों और संदर्भों, संचार, डेटिंग, अंतरराज्यीय जीवन शैली, व्यवसाय, संगीत और ऑडियो समाचार और पत्रिका, वीडियो प्लेयर लेखकों के लिए उपकरण और एप्लिकेशन शामिल हैं। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्टिफिकेट-इन) ने इसके लिए एक एडवाइजरी जारी किया है।
ब्लैकरॉक के बारे में सबसे पहले नीदरलैंड्स की साइबर सुरक्षा एजेंसी थ्रेटफ्रेब्रीक ने अलर्ट जारी किया गया। ब्लैकरॉक थर्ड पार्टी एप के जरिए यूजर के मोबाइल में इंस्टॉल हो जाता है। इंस्टॉल होने के बाद यह अपना आइकन छिपाकर चुपचाप एक्सेसिबिलिटी की अनुमति मांगता है। केवल एक अनुमति मिलने के बाद शेष अनुमति जैसे एसएमएस भेजना/प्राप्त करना, कैमरा, जीपीएस की अनुमति खुद ही ले लेता है। ब्लैकरॉक को हटाने के लिए अगर एंटीवायरस का उपयोग किया जाता है या अनइंस्टॉल किया जाता है तो यूजर को सीधा होम स्क्रीन पर री-डायरेक्ट कर बच जाता है।
ब्लैकरॉक कई बैंक के एप के अलावा पे-पाल , गूगल पे, जीमेल, याहू मेल, ई-बे, माइक्रोसॉफ्ट कैश, अमेजन, उबर, नेटफ्लिक्स को निशाना बनाता है। यह इंस्ट्राग्राम, टिवट्र, फेसबुक, वाट्सएप, हैंगआउट, टिंडर जैसे सोशियल मीडिया एप से यूजर आईडी व पासवर्ड भी चुरा सकता है।
ब्लैकरॉक थर्ड पार्टी एप के रूप में मोबाइल में इंस्टॉल होता है। ऐसे में केवल गूगल प्ले स्टोर से ही कोई एप्लीकेशन डाउनलोड करने के साथ अपडेट करनी चाहिए। थर्ड पार्टी एप से बचना चाहिए। एक्सेसिबिलिटी की अनुमति देते वक्त भी सावधानी जरुरी है।
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2 Comments
Be careful while installing any app... Thanks for sharing valuable information...
ReplyDeleteThank you so much for information
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